सुरेन्द्र
तिवारी के आकस्मिक निधन पर आयोजित तेरहवीं के अवसर पर श्रद्धांजलि।
चले गये हे सखा
बन्धु
इस तरह अकेला
छोड़कर
अपनों से जो
बांधी थी
मजबूत प्यार की
स्नेहिल डोरी
चले गये तुम
अकस्मात उस डोरी को भी तोड़कर
चले गये हे सखा
बंधु हम सबको आहत छोड़कर
याद करेंगे तेरी
करनी
शब्दों से यारी
बहुवर्णी
याद करेंगे तेरी
लेखन शक्ति-साधना जीवन भर
छोड़ गए परिवार
तड़पता बिना बच्चे घर निःश्वर
ईश्वर से हम
करें प्रार्थना, रहे लेखकी अजर-अमर
चले गये हे सखा
बन्धु इस तरह अकेला छोड़कर
- स्वदेश भारती
बैंगलोर
18.5.2013
मैं तेरहवीं पर
आंख के आपरेशन के कारण दिल्ली- घर नहीं आ सका इसका हार्दिक दुःख है। परिवार के सभी
सदस्यों को मेरी आंतरिक संवेदना तथा दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से
प्रार्थना तथा भावभीनी श्रद्धांजलि।
-
स्वदेश भारती
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