यह जो हंसी की जवानी बीतती है
और अचानक बुढ़ापे में परिवर्तित हो जाती है
यह जो प्रेम की अतृप्त पिपासा
दिल की धड़कनों पर निरन्तर
जीवन और मृत्यु के गीत गाती है
यह जो बासन्ती हंसी
पीलेपन के साथ कुम्हलाती है
यह जो उल्लासमय प्रेम, आनन्द, हताशा, दुःख और आंसू
सिवान की घुटन, फुटपाथी-संत्रास
अंधेरा जीती शताबादी
पहर-दर-पहर, तिल-तिल कर बीत जाती है
और हम चौथे पहर के दिए की तरह
अपनी निश्तेज वर्तिका के साथ जलते हैं
जीवन के अंतिम क्षणों में हाथ मलते हैं
शायद इसीलिए कि
समय की विपरीत दिशा में चलते हैं।
और अचानक बुढ़ापे में परिवर्तित हो जाती है
यह जो प्रेम की अतृप्त पिपासा
दिल की धड़कनों पर निरन्तर
जीवन और मृत्यु के गीत गाती है
यह जो बासन्ती हंसी
पीलेपन के साथ कुम्हलाती है
यह जो उल्लासमय प्रेम, आनन्द, हताशा, दुःख और आंसू
सिवान की घुटन, फुटपाथी-संत्रास
अंधेरा जीती शताबादी
पहर-दर-पहर, तिल-तिल कर बीत जाती है
और हम चौथे पहर के दिए की तरह
अपनी निश्तेज वर्तिका के साथ जलते हैं
जीवन के अंतिम क्षणों में हाथ मलते हैं
शायद इसीलिए कि
समय की विपरीत दिशा में चलते हैं।
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